कक्षा 8, 9 एवं 10 में हिन्दी भाषान्तर्गत जनवरी मास में कविता-निर्माण का आयोजन

आत्मीय विद्यामंदिर में होने
वाली विविध गतिविधियों के साथ-साथ जनवरी मास में कक्षा 8, 9 तथा कक्षा 10 में
हिन्दी भाषा के अंतर्गत हिन्दी भाषा-शिक्षक श्री मुकेश जोशी के मार्गदर्शन में
हिन्दी कविता-निर्माण का आयोजन किया गया। जिसके अंतर्गत कक्षा 8 में कविता निर्माण
का विषय था—“उड़ी पतंग”, कक्षा 9 में विषय था— ‘बचपन’ एवं कक्षा 10 में
कविता-निर्माण के 3 विषय दिए गए, जिसमें से छात्र अपना पसंद का विषय चुन कर अपने
विचारों को मुक्त रूप से अभिव्यक कर सकें। जो निम्नलिखित हैं—
  1.  मेरा स्वार्थ।
  2.  मेरे सपनो का भारत
    (दुनियाँ)।
  3. नया तरीका भक्ति का।
छात्रों ने कविता निर्माण कर
अपनी प्रतिभा का परिचय दे दिया।

संवेदना छोटे से जीव की – 2

Std 9B: Gillu – by Aditya Killa, Raj Panpaliya

Std 9B: Gillu – by Harsh, Harshil, Tanmay, Vishesh

Std 9B: Gillu – by Roshan, Sachin

संवेदना छोटे से जीव की – 1

Std 9B: Gillu – by Mayank Watwani, Samay Jain
Std 9B: Gillu – by Love Patel, Parth Amipara
Std 9B: Gillu – by Fenil Patodiya

The sun fails to reach where these Class 6 students reach!

Heart touching Hindi poems from Class 6 wonders…

Please click on the images below to have an enlarged view.

Amit (Std 6A): Mera Bhai

Darshan (Std 6A): Mera Desh

Parth (Std 6A): Suraj Nikla

Inspired by: Mukesh Sir

Teacher and Student: Poems by Class 8 Students

Guru Gyaan by Samay Jain

Guru Seva by Yash Chhatani and Parth Patel

Teacher and Me by Ronak Mistry
 


My Teacher
Aakash and Akshay


O My Teacher I bow to you by Kenny and Bhavik

Teacher and Student by Pratipal and Harshit



Teacher and Student by Samay Jain and Aditya Killa


Valuable gem of my life by Satyam, Parikshit and Manan

You are the one my teacher – Tanmay and Dhruv

मान – सम्मान – आदर

प्रभु के चक्षु से बहता पानी

आज प्रभु के चक्षु से बह रहा था पानी।

जैसे, बह रहा हो झरना, सुना रहा हो कहानी।।

प्रभु की सर्जित दुनिया में –

आज मनुष्य द्वारा मनुष्य की हो रही थी निलामी।

जैसे आग का दरिया और समुद्र का खारा पानी।।

आज प्रभु के चक्षु से…

प्रेम से सँवारकर प्रभु ने मनुष्य की मूरत बनाई।

मूल्यों से सजाकर उसने हम से लीला करवाई।।

खुश हुआ प्रभु , हाँ…… खुश हुआ प्रभु ।

जब मनुष्य ने आत्मीयता की अलख जगाई।।

अरे! आज क्या हुआ मनुज को –

अरे! आज क्या हुआ मनुज को –

जो उसने अपनों की ही खिल्ली उड़ाई।।

आज प्रभु के चक्षु से…

मनुष्य ही मनुष्य का कर रहा था अनादर।

नफ़रत की सभी ने ओढ़ ली थी चादर।।

जिस धर्म ने सभी को जुड़ना सिखाया।

उसी धर्म के वास्ते, हाँ, आज उसी धर्म के वास्ते,

सभी मनुष्यों ने एक-दूजे का खून बहाया।

अतः प्रभु ने सभी को अपने आँसू से नहलाया।।

इसलिए…

आज प्रभु के चक्षु से बह रहा था पानी।

जैसे, बह रहा हो झरना, सुना रहा हो कहानी।।

निहारिका

समय

समय

कौन समय ? कैसा समय ?

समय एक ऐसा,

करता नहीं इंतज़ार किसी का ,

जल्दी आता, जल्दी जाता ।

गर करें इंतज़ार किसी वार का ,

कभी नहीं वो जल्दी आता ।

न किसी का दोस्त, न किसी का दुश्मन ।

फिर भी वह साथ हमारे , पास हमारे ।

गर हैं हम साथ समय के, तो दुनिया कदमों मे ;

गर दूर समय के, तो अस्तित्व खतरे मे ।

समय का तुम करों उपयोग ।

करों सदुपयोग, बनो महान,

छू लों आसमान, पा लो मान ।

पहुचों बुलंदी पर, बनो महान

अंकित करवाओ अपना नाम,

करो देश को भी महान ।

करो देश को भी महान ।

समय एक एसा, जल्दी आता जल्दी जाता ।

शिक्षक:(मुकेश जोशी)
हिन्दी शिक्षक( आत्मीय विद्यामंदिर )

”सफलता का एक आधार”

”सफलता का एक आधार”

मैं लगातार,मेरा नाम लगातार,

मैं बार-बार और मैं ही हर बार।

मैं नहीं कहता कि,मैं ही हूं…..

पर,मैं कहता हूं कि,मैं भी हूं,

सफलता का एक आधार।।

मैं लगातार,मेरा नाम लगातार,

मैं बार-बार और मैं ही हर बार।

जिसकी इच्छा अभी अधुरी है,

तो वहां मेरा होना ज़रुरी है।

सफलता चाहे वो बुरी हो,

या

अच्छाईयों से भरी-पूरी हो,

जो सदा मुझे अपनाता है,

उसे

सफलता देना मेरी मजबुरी है।।

मुझे निरन्तरता भी कहते है।

निरन्तरता काम है,निरन्तरता सम्मान है।

निरन्तरता विश्राम है,

वास्तव में

निरन्तरता ही आराम है।।

ये तप है,तपस्या है,

जीवन का विकास है।

ये जिस-जिस के पास है,

दुनियां मे वो ही खा़स है।।

निरन्तरता के तपस्वी को

हर मुकाम पर शाबाश है

निरन्तरता के तपस्वी को

हर मुकाम पर शाबाश है।।



Submitted By: Pushpak Joshi